पृष्ठ

सोमवार, 14 जुलाई 2014

पुराना माल -तीन चतुष्पद

           पुराना माल -तीन चतुष्पद
                              १
पुराने माल है लेकिन,ढंग से रंग रोगन कर ,
         किया 'मेन्टेन 'है खुद को ,चमकते ,साफ़ लगते है
कमी जो भी है अपनी ,हम,उसे ऐसा छिपाते है,
          लोग ये कहते है तंदरुस्त कितने   आप लगते है
हरेक अंग आजकल नकली ,हमें बाज़ार में मिलता ,
           आप  इम्प्लांट करवा लो,लगालो बाल भी नकली , 
विटामिन और ताक़त की ,गोलियां खूब बिकती है,
           जवाँ खुद ना ,जवानो के ,मगर हम बाप  लगते  है
                          २    
तीन ब्लेडों के रेज़र से,सफाई गाल की करते ,
           लगा कर 'फेयर एंड लवली'रूप अपना निखारा  है
रँगे  है बाल हमने 'लोरियल'की हेयर डाई से,
            कराया 'फेसियल' सेलून' में ,खुद को संवारा है 
 आज भी जब कलरफुल 'ड्रेस में सज कर निकलते है,
            लड़कियां 'दादा' ना  कहती, हमें 'अंकल'बुलाती है,
बूढ़ियाँ भी हमें नज़रें बचाके देख लेती है ,
                 कहे कोई हमें बूढा ,ये  हमको ना गंवारा है 
                           ३
'सेल'है 'एंड सीजन 'का,माल ये सस्ता हाज़िर है ,
          है डिस्काउंट भी अच्छा , ये मौका फिर न पाएंगे
पके है पान खा  लो तुम,न सर्दी ना जुकाम होगा ,
         बहल कुछ तुम भी जाओगे ,बहल कुछ हम भी जाएंगे
पुराना माल है इसको,समझ एंटीक ही ले लो,
       समय के साथ 'वेल्यूं' बढ़ती जाती ऐसी चीजों की,
उठाओ लाभ तुम इसका,ये ऑफर कुछ दिनों का है,
         हाथ से जाने ना दो तुम   ,ये मौका फिर न पाएंगे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।