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बुधवार, 14 मई 2014

मोदी की आंधी

                मोदी की आंधी

बड़े  गर्व  से खड़े      पेड़ सब  बड़े बड़े
ऐसी  आंधी चली कि सब के सब उखड़े
 मायावी जादूगरनी ने कील ठोक ,
                  कर रख्खा था , ओहदेदारों को बस में
जैसे भी वो नाच नचाया करती थी ,
                   कठपुतली बन ,नाच करते, बेबस से
नहीं किसी की हिम्मत थी कुछ भी बोले,
                    सब के सब मेडम से इतना  डरते थे
खुद होते बदनाम ,लाभ मेडम लेती,
                    उलटे सीधे काम सभी वो करते थे
जादूगरनी के मन में ये  इच्छा थी ,
                     उसका बेटा मालिक बने  विरासत का
लेकिन सब अरमान रहे दिल के दिल में,
                     बंटाधार होगया उनकी हसरत का
खूब सताया,जी भर लूटा जनता को,
                       लगा लगा  टैक्स बढ़ा  कर  मंहगाई
लेकिन मेडम का तिलिस्म सब टूट गया ,
                        जब जनता ने अपनी ताकत दिखलाई
      गिरी का बब्बर शेर दहाड़ा घर घर जा  
       मायाविनी के बाग़ खड़े थे,सब उजड़े
       बड़े गर्व से खड़े    पेड़ सब बड़े बड़े 
        ऐसी आंधी चली कि सबके सब उखड़े

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 

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