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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

शादी के बाद

               शादी के बाद
                         १

आते है हमको याद ,जवानी के प्यारे  दिन,
                  मस्ती थी मन में,मौज थी,अपने भी ठाठ थे
मरती थी हमपे लड़कियां,कॉलेज की  सभी,
                    हम चुलबुले थे,तेज थे, लगते स्मार्ट थे 
उनसे जब मिले ,जाल में हम उनके फंस गए ,
                     शादी हुई और बने उनके स्वीटहार्ट  थे
वो मीठी प्यारी रसभरी ,रसगुल्ले की तरह,
                      चटखारे लेके खानेवाली,हम भी चाट थे
अब हाल ये है ,टोकती हर बात पर हमें,
                      हरदम हमारी बीबी हमें ,रखती डाट के
दफ्तर में पिसें ,घर में  भी सब काम करें हम,
                      धोबी के गधे बन गए,घर के न घाट  के
                               २
किस्मत ने  हमारी ये चमत्कार दिखाया
बीबी ने हमपे इस तरह उपकार दिखाया
होटल से खाना आएगा ,बरतन तुम मांझ लो,
कम काम का बोझा किया और प्यार दिखाया
                        ३
वो जा रही थी रूठ कर के,मइके ,माँ के घर,
       हमने जो छींका,अपशकुन कह कर ठहर गयी
जाता है टूट छींका भी बिल्ली के भाग्य से ,
         'घोटू' हमारी  छींक ,ऐसा  काम  कर  गयी
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'     

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