पृष्ठ

गुरुवार, 13 मार्च 2014

थ्रिल

              थ्रिल
सवेरे ,सवेरे ,
ताजे ताजे अखबार के ,
करारे करारे पन्ने को,
एक एक कर खोल कर ,
नयी नयी ख़बरें,
पढ़ने में जो मज़ा आता है
वो रात को टी वी पर ,
देख लो सब खबर,
तो गुम हो जाता है
जैसे शादी के पहले ,
डेटिंग ,सेटिंग करने से,
सुहागरात का थ्रिल चला जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।