पृष्ठ

मंगलवार, 4 मार्च 2014

नज़रिया अपना अपना

         नज़रिया अपना अपना

हों कैसे भी हालत मगर ,कुछ लोग ढूंढ लेते खुशियां
 कुछ लोगों को हर सुख में ,भी आती  नज़र कई कमियां 
                                    नज़रिया अपना अपना
जैसे मरने पर हंसमुख जी को,चित्रगुप्त ने नरक दिया
तो गरम तेल में यमदूतों ने उन्हें पकड़ कर फेंक दिया
हंसमुख बोले जो पुण्य किया ,उसका भी थोडा  फल देते
थोडा सा बेसन मिल जाता ,तो गरम पकोड़े तल लेते
                                 नज़रिया अपना अपना
और दुखीराम को स्वर्ग मिला ,पहले तो थोडा हर्षाये
पर थोड़े दिन के बाद वही पहले से दुखी नज़र आये
बोले जो मिली अप्सरा है ,वो प्यार दिखाती है थोथा
पर अगर उर्वशी मिल जाती तो मज़ा और ही कुछ होता
                                  नज़रिया  अपना अपना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।