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रविवार, 23 मार्च 2014

हम सभी टपकने वाले है

 हम सभी टपकने वाले है

विकसे थे कभी मंजरी बन, हम आम्र तरु की डाली पर ,
         धीरे धीरे फिर कच्ची अमिया ,बन हमने  आकार  लिया
थोड़े  असमय ही टूट गए,आंधी में और तूफ़ानो में,
          कुछ को लोगों ने काट, स्वाद हित, अपने बना अचार लिया
कुछ लाल सुनहरी आभा ले ,अपनी किस्मत पर इतराये ,
            कुछ पक कर चूसे जायेंगे ,कुछ पक कर कटने वाले है 
कुछ बचे  डाल पर सोच रहे ,कल अपनी बारी आयेगी ,
           सब ही बिछुड़ेगें डाली से  ,हम सभी  टपकने वाले  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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