पृष्ठ

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

         एक जूता किसी नेता पे उछालो यारों

यूं ही गुमनाम से आये हो,चले जाओगे ,
                        करो कुछ ऐसा कि कुछ नाम कमा लो यारों
कौन कहता है कि टी वी पे नहीं छा सकते ,
                        एक  जूता तो  किसी नेता  पे उछालो    यारों 
बड़ी मुश्किल से ये मानव शरीर पाया है,
                         हसरतें मन की अपनी ,सारी निकालों यारों
वैसे लड़ना तो बुरी बात है सब कहते है ,
                          नाम करना है तो चुनाव लड़  डालो यारों      
करो अफ़सोस नहीं,हार जीत चलती है,
                            भड़ास मन की तुम बीबी पे निकालों यारों
लोग ठगते है सब ,औरों को टोपी पहना कर ,
                              बदल के टोपी खुद ही पैसा कमालो यारों
एक के साथ ही निष्ठां की नहीं जरुरत है,
                              माल जो दल दे उसे ,अपना बना लो यारों
जिंदगी सुख से जो जीना है,जुगाड़ी बन कर,
                               निकालो काम ,अपनी गाडी धका लो यारों  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।