पृष्ठ

सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

बहू चाहिए-आलू जैसी

       बहू चाहिए-आलू जैसी

शर्माजी का बेटा बड़ा हुआ,
उन्हें बहू की थी तलाश
ढूंढ रहे थे इधर उधर ,आस पास
हमने उनसे पूछा आपको बहू चाहिए कैसी
शर्मा जी बोले 'आलू 'जैसी
जैसे  आलू हर सब्जी के साथ मिल कर स्वाद बढ़ाये
उसी तरह वह घर के हर सदस्य के साथ,
घुल  मिल जाए
और जिंदगी का स्वाद बढ़ाये
इतनी 'वर्सेटाइल 'हो कि हर जगह काम आ सके
समोसे में भरलो ,आलू टिक्की बनालो,
परांठों में भर कर भी खाई जा सके
आलू के पकोड़े में ,आलू की पेटिस में
वडा पाव वाले बड़े में या आलू की चाट में
सभी जगह आलू बिराजमान रहता है ठाठ में
हर जगह आलू का जलवा है
बड़ा स्वाद होता ,आलू का हलवा है
आज की नयी पीढ़ी को भी ,
प्यार से खाती है आलू जी भर
आलू के 'फ्रेंच फ्राई ' या आलू टिक्की बर्गर
और दिन भर चरने को,आलू के वेफर
और सच्ची बात तो यह है,
अन्य सब्जियां तो,
एक दो दिन में ही,हो जाती है खराब
और आलू को,शीतगृह में,रखदो,
पूरे साल भर ,कायम रहता है उस पर शबाब
इसलिए भाई साहेब ,
अगर कोई आलू के गुण वाली ,बहू मिल जाए
हमारी तो किस्मत ही खुल जाए

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।