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शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

शब्दहीन संवाद -आंसू और मुस्कान

          शब्दहीन संवाद -आंसू और मुस्कान
                           आंसू
मन की पीड़ा ,दिल का दर्द उमड़ आता है ,
बिना कहे  ही ,कितना कुछ कह देते आंसू
ये पानी की बूँद छलकती जब   आँखों में ,
पलक द्वार को तोड़ ,यूं ही बह लेते  आंसू
बिन बोले ही मन के भाव उभर आते है ,
जब ये आंसू ,आँखों में भर भर आते है
चुभन ह्रदय में होती,नीर नयन से बहता ,
मन मसोस कर ,कितना कुछ सह लेते आंसू
                    मुस्कान
जब मन का आनंद समा ना पाता मन में ,
तो सुख बन मुस्कान,,नज़र आते चेहरे पर
बिन बोले ही ,सब कुछ बतला देते सबको ,
मन के सारे भाव ,उभर आते चेहरे पर
युगल ओष्ठ ,चोड़े  हो जाते,बांछे खिलती ,
नयी चमक आती चेहरे पर ,खुशियां दिखती ,
होता है जब मन प्रसन्न तो पुलकित होकर,
खुशियों के सब भाव ,बिखर  जाते चेहरे पर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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