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सोमवार, 6 जनवरी 2014

गुरु जी गुड ही रहे …

        गुरु जी गुड ही रहे … 

जब गुरु से चेला   आगे निकल जाता था 
'गुरूजी गुड ही रहे ,चेले जी शक्कर हो गए '
ऐसा कहा जाता था
पर आज, जब लाला कि दूकान पर ,
गुड का भाव चालीस रूपये किलो
और शक्कर का भाव तेंतीस रूपये पाया ,
तो समझ में आया
कि गुरु आजकल सचमुच गुरु ही है
मंहगे  ,मीठे ,बंधे और स्वादिष्ट ,खाने में
और चेले,मीठे पर सस्ते, बिखरे दाने दाने में
आजकल 'कोचिंग क्लासेस'में,
 मिलनेवाली,गुरुओं की  कमाई से ,
क्या आपको  ऐसा नहीं लगता ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

 

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