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शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

जी तो करता है तुझे प्यार करूं जी भर के

    जी तो करता है तुझे प्यार करूं जी भर के  

जी तो करता है तुझे प्यार करूं जी भर के ,
मगर तू पास भी आने नहीं देती  मुझको
सताती रहती मुझको नित नयी अदाओं से ,
 चाहूँ मैं ,पर तू  सताने नहीं देती मुझको
            यूं कभी भी ,कहीं भी ,मिलती जब अकेले में,
            जब भी है मिलती ,शरारत से मुस्कराती तू
           अपनी मादक सी और मोहती अदाओं से,
            दिखाके जलवे ,मेरे दिल को लूट जाती तू
मैं करूं  कुछ पहल तो ,शरमाकर के,यह कह के,
कि कोई देख ना ले,खिसक जाती तू झट से
जी तो ये  करता है कि तुझ में समा जाऊं मैं ,
हाथ भी अपना  लगाने नहीं देती मुझको
जी तो करता है कि ……
           कितने अरमान तुझको ले के सजा रख्खे है ,
            ये कभी तूने बताने का भी मौका न दिया
           अपने जलवों की दावत का निमंत्रण दे के,
          कभी भी,दावतें खाने का भी मौका न दिया
अब मैं तुझको क्या बतलाऊँ मेरी जाने जिगर ,
कब से उपवास करके ,जी रहा हूँ,आहें भर
सामने थाली में पुरसे  हुए  पकवान गरम,
और तू है कि जो खाने नहीं देती मुझको
जी तो करता है कि ……
             जब भी करता हूँ मैं कोशिश करीब आने की,
             छिटक के पहलू से मेरे तू खिसक जाती  है
            अकेली रात भर करवट बदलती रहती  है ,
             बाँहों में तकिया लिये ,तूभी सो न पाती है
मैं भी तकिये की तरह,मौन सा बाँहों में बंधू ,
पर ये मुमकिन ना होगा ,कोई हरकत न करूं ,
छलकता जाम है ,मदिरा का ,ये तेरा यौवन,
होंठ से अपने लगाने नहीं देती   मुझको
जी तो करता है तुझे प्यार करूं ,जी भर के,
मगर तू पास भी आने नहीं देती मुझको

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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