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सोमवार, 20 जनवरी 2014

गाँठ से पैसे खरच कर,हम ने दारू ली नहीं

  गाँठ से पैसे खरच  कर,हम ने दारू ली नहीं

जब भी यारों ने पिलाई ,ना ना कर थोड़ी चखी ,
हम नहीं भरते है ये दम,हमने दारू पी नहीं
जब भी फ़ोकट में मिली है,प्रेम से गटकायी है,
रम,बीयर जो मिली पीली,मिली जो व्हिस्की नहीं
जब भी फॉरेन फ्लाईट में ,मुफ्त में  ऑफर हुई,
व्योमबाला ने पिलाई ,और हम ने ली नहीं    
भैरोबाबा का समझ ,परसाद ,चरणामृत पिया ,
उस जगह ना गए मदिरा ,जहाँ पर थी फ्री नहीं
सर्दी और जुकाम में पी ,ब्रांडी को समझा दवा ,
गम गलत करने ,खुशी में,हमने दारू पी नहीं
'घोटू'हम ना तो पियक्कड़ ,ना ही दारूबाज है,
गाँठ से पैसे खरच कर ,हमने दारू  ली नहीं

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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