पृष्ठ

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

दूल्हे से


                  दूल्हे से  

सजा सेहरा ,चेहरे पर,अकड़ कर घोड़ी चढ़ा ,
                    शेरवानी पहन कर के शेर बन इतरा रहा
आज के ही दिन दिखाले ,अपनी सारी हेकड़ी ,
                    जिंदगी भर,बनके गीदड़ ,करेगा हूहां हूहां

  घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।