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सोमवार, 2 दिसंबर 2013

सूखे पत्ते - अंगूठी और दस्ताने

         सूखे पत्ते

रिश्ता हमारा बहुत पुराना है पेड़ से ,
               कोंपल से फूटे,धीरे धीरे  पूरे खिल गये
नाचे हवा के संग बहुत ,जब जवान थे ,
                आया बुढ़ापा ,पीले पड़े,और गिर गये
हम सूखे हुए पत्ते है अब इतना समझ लो ,
                 ढंग से जो लोगे काम तो हम खाद बनेंगे
हमको जलाया गलती से भी तुमने जो अगर ,
                   जंगल को जला देने वाली आग बनेंगे

              अंगूठी और दस्ताने
 
जबसे चढ़ी है उँगली पे हीरे की अंगूठी,
                        इतरा रही नसीब पर है सारी उँगलियाँ
दस्ताना मुस्कराया ,बोला जब मै चढूंगा ,
                        ना तो दिखेगी अंगूठी और ना ही उँगलियाँ 

घोटू     

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