गांधी जी
कहते तो हैं वो गाधीजी को राष्ट्र का पिता ,
बेटों ने अपने बाप के संग,देखो क्या किया
गड्ढों भरी कुछ सड़कें बची ,उनके नाम की ,
गांधीजी के सिद्धांतों को,सबने भुला दिया
लाखों ,करोड़ो नोटों पे,गांधी को छाप के ,
रिश्वत के लेन देन का,जरिया बना दिया
गांधी की टोपी पहन के ,नेताजी बन गए ,
खद्दर पहन के खुद का मुकद्दर बना लिया
गांधी का नाम लेके सत्ता से चिपक गये ,
जम्हूरियत को पुश्तेनी ,धंधा बना दिया
मारी थी गोडसे ने सिरफ तीन गोलियां,
सीने को इनने गांधी के ,छलनी बना दिया
गांधी को बेच बेच के,लिंकन को खरीदा ,
जाकर विदेशी बेंक में ,सारा जमा किया
गांधी का सपना कोई मुकम्मल नहीं किया ,
सपनो को उनने अपने ,मुकम्मल बना लिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कहते तो हैं वो गाधीजी को राष्ट्र का पिता ,
बेटों ने अपने बाप के संग,देखो क्या किया
गड्ढों भरी कुछ सड़कें बची ,उनके नाम की ,
गांधीजी के सिद्धांतों को,सबने भुला दिया
लाखों ,करोड़ो नोटों पे,गांधी को छाप के ,
रिश्वत के लेन देन का,जरिया बना दिया
गांधी की टोपी पहन के ,नेताजी बन गए ,
खद्दर पहन के खुद का मुकद्दर बना लिया
गांधी का नाम लेके सत्ता से चिपक गये ,
जम्हूरियत को पुश्तेनी ,धंधा बना दिया
मारी थी गोडसे ने सिरफ तीन गोलियां,
सीने को इनने गांधी के ,छलनी बना दिया
गांधी को बेच बेच के,लिंकन को खरीदा ,
जाकर विदेशी बेंक में ,सारा जमा किया
गांधी का सपना कोई मुकम्मल नहीं किया ,
सपनो को उनने अपने ,मुकम्मल बना लिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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