पृष्ठ

बुधवार, 27 नवंबर 2013

तहलका

              तहलका
तरुण भी है,तेज भी है ,कलम में भी जोर है ,
कितनो का ही भंडा फोड़ा,जब भी मिल मौक़ा गया
लिफ्ट में एक रूपसी ने लिफ्ट उनको नहीं दी ,
बात बिगड़ी इस तरह कि तहलका सा मच  गया

घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।