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रविवार, 17 नवंबर 2013

दिल की बात

         दिल की बात

दिल,शरीर का वो अंग है
जैसे कोई पम्प है
जिसका काम ,रक्त को पम्प कर,
नसों में प्रवाहित  करना है
और जीवन में गति भरना है
यह प्रोसेस है मेकेनिकल
और यह क्रिया चलती है निरंतर
जिस दिन ये पम्प बंद होता
आदमी चिर निंद्रा सोता
लेकिन इस दिल की  मशीन को ,
हम भावनाओं से क्यों जोड़ते है
कभी दिल जोड़ते है,कभी दिल तोड़ते है
कभी दिल जलता है,कभी दिल बुझता है 
कभी दिल लगता है ,कभी दिल कुढ़ता है
कभी किसी पर दिल आता है
कभी किसी के लिए तड़फ जाता है
कभी हम दिल मसोस कर रह जाते है
कभी हम दिल में करार पाते है
प्यार होने पर दिल मिल जाते है
जुदाई में दिल टूट जाते है
पर डाक्टरों के हिसाब से ,प्यार होने में ,
दिल की कोई भूमिका नज़र नहीं आती है
हाँ,प्रेम की कुछ प्रक्रियाओं में ,
दिल की धड़कन,कम ज्यादा हो जाती है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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