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बुधवार, 13 नवंबर 2013

सुप्रभातम्

           सुप्रभातम्

प्रातः की लुनाइयां सब, हो मुबारक
पवन कि शहनाइयां सब, हो मुबारक
लालिमा सिन्दूर सी जिसने बिखेरी ,
उषा की अंगड़ाइयां सब, हो मुबारक
आ रही है दबे पाँव ,चुपके चुपके,
भोर के आने की आहट ,हो मुबारक
तरुओं की डाल पर कर रहे कलरव,
पंछियों की  चहचहाहट ,हो मुबारक
झांकती सी किरण की चंचल निगाहें ,
दिखाती मुख,हटा घूंघट,हो मुबारक
डाल पर खिलती कली की सकुचाहट ,
और भ्रमर की गुनगुनाहट ,हो मुबारक
छुपा कर मुख ,सितारों की  ओढ़नी में ,
हो रही है,रात रुखसत,हो मुबारक
सजा कर निज द्वार तोरण आज प्राची ,
कर रही नवदिवस स्वागत,हो मुबारक
बांटता है सूर्य ,ऊर्जा ,बैठ जिसमे ,
सप्त अश्वों का रवि रथ ,हो मुबारक
आज का दिन ,आपको सुख ,समृद्धी दे,
खुशी बरसे,भली सेहत ,हो मुबारक

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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