पृष्ठ

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2013

सबसे अच्छा धन्धा

       सबसे अच्छा धन्धा

मेरे मन में ,एक बड़ा था ये  कन्फ्यूजन
आने वाले जीवन में लूं ,क्या प्रोफेशन
क्योंकि होने वाला हूँ मै शीध्र रिटायर
मुझमे ऊर्जा भरी ,अनुभव का मै सागर
बाद रिटायर्मेंट ,काम में क्या अपनाऊं
नेता बनूँ,या कि फिर मै बाबा बन जाऊं
क्योंकि इन दोनों ही धंधों में इज्जत है
खूब कमाई होती,दौलत ही दौलत  है
जनता अपने सर ,आँखों पर तुम्हे बिठाती
एक बार जो चल निकला ,चांदी ही चांदी
ये दोनों ही ,बड़े आदमी  कहलाते है
भक्तों ,चमचों से हरदम पूजे जाते है
आवश्यक ,होना जुबान में जोर चाहिए
नाटकबाजी आती ,करना    शोर चाहिए
वैसे होता  मुश्किल है नेता बन पाना
जगह जगह होर्डिंग लगवा कर नाम जमाना  
हाई कमान के थोड़े चरण चाटने होंगे
और मीडिया को उपहार बांटने  होंगे
एक बार टी वी पेपर में  अगर छाओगे
तो चुनाव में टिकिट शीध्र ही पा जाओगे 
जीते अगर चुनाव ,समझ लो,लगी लाटरी
पाँचों उंगली घी में है और किस्मत संवरी
जोड़ तोड़ कर एक  बार मंत्री पद पालो
एक झटके में ,कई करोड़ों ,आप कमालो
भाई,बंधू को ,ठेका दिलवा ,करो तरक्की
पांच साल में पांच पुश्त  की,दौलत पक्की
लेकिन थोडा मुश्किल है ये नेता बनना
एक बार हारे चुनाव, कोई  पूछे  ना
इससे ज्यादा अच्छा ,संत महात्मा बनना
क्योंकि इस धंधे में लगता धन ना 
नहीं फिटकड़ी,हींग ,रंग भी आये चोखा
ज्ञान चाहिए थोडा वेद ,और शास्त्रों का  
थोड़े भजन कीर्तन करना ,गाना गाना
चंद चुटकुले ,किस्से कहना ,शेर सुनाना
थोड़े भगवा कपडे ,थोड़े बाल बड़े  हो
कुछ ऐसे चेला चेली ,गुणगान करें जो
खुल्ले हाथों ,आशीर्वाद बांटने होंगे
उनमे ,कम से कम आधे तो सच ही होंगे
जिसका काम बनेगा ,वो जब गुण गायेगा
सात आठ वो नए भक्त लेकर आयेगा
प्रवचन सुनने फिर भक्तों की भीड़ लगेगी
तो समझो तुम्हारी गाडी  चल निकलेगी
बढ़ती जायेगी फिर जयजयकार ,हमेशा
खूब चढ़ावा  आयेगा,  बरसेगा  पैसा
अगर आचरण अपना सात्विक रख पाओगे
निज भक्तों से जीवन भर पूजे जाओगे
इन सारी बातों को मैंने परखा ,तोला
किया विवेचन मैंने तो मेरा मन बोला
राजनीति का धंधा होता जाता रिस्की
वही पनप पाता ,अच्छी हो 'बेकिंग'जिसकी
पर मुझ सा ,विद्वान्,अनुभवी ,अच्छा वक्ता
बाबा बन कर पा सकता है ,शीध्र सफलता
सबसे अच्छा ,'सेफ',अगर धंधा है चुनना
तो फिर नेता नहीं,ठीक है  बाबा   बनना
क्योंकि बाबाओं से डरते सब नेता गण
'बाबागिरी'ही है सबसे अच्छा प्रोफेशन

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।