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गुरुवार, 5 सितंबर 2013

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जब भी मै विज्ञापन देखता हूँ,सोचता हूँ,
जब सफोला नहीं होता था ,
लोग अपने दिल का ख्याल कैसे रखते थे
जब हिट नहीं होता था,
मलेरिया के मच्छर से कैसे बचते थे
जब होर्लिक्स या बोर्नविटा नहीं होता था ,
बिना विटामिन डी के ,
दूध का केल्शियम कैसे मिलता होगा
बिना लक्स या ब्यूटी क्रीमों  के,
औरतों का रूप कैसे खिलता होगा
बिना शेम्पू के ,बाल कैसे धोये जाते होंगे
बिना टी वी के लोग वक़्त कैसे बिताते होंगे
बिना मोबाईल के ,बात कैसे होती होगी
बिना बिजली की रोशनी के,रात कैसी होती होगी
घर में ढेर सारे बच्चे और संयुक्त परिवार सारा
इतनी भीड़ में कैसे करते होंगे गुजारा
पर ये सच है ,बिना इन सुविधाओं के भी,
खुशी खुशी जीते थे  ,लोग सारे
हाँ,वो थे ,पुरखे हमारे
घोटू 


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