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बुधवार, 25 सितंबर 2013

जीवन- चार दिनों का या महीने भर का

  जीवन- चार दिनों का या महीने भर का

बड़े भाग्य से प्राप्त हुआ है ,यह वरदान हमें इश्वर का
चार दिनों का नहीं दोस्तों,ये जीवन है महीने भर का
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को,जैसे होता है चंद्रोदय
वैसे ही तो इस जगती में ,होता है जीवन का उद्बव
बढ़ता जाता चाँद दिनोदिन ,पूर्ण विकसता ,आती पूनम
वैसे ही विकसित होता है जीवन, पूनम मतलब यौवन
फिर होता है क्षीण दिनोदिन,चालू होता घटने का क्रम
जैसे आता हमें बुढापा ,और जर्जर होता जाता तन
हो जाता है लुप्त एक दिन ,आती है जिस तरह अमावस
कभी उसे ढक  लेते  बादल,लेते कभी राहु केतु  डस
सारा जीवन रहो चमकते ,तम हर लो धरती ,अम्बर का
चार दिनों का नहीं दोस्तों ,ये जीवन है महीने भर का

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

1 टिप्पणी:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति .खुबसूरत रचना
    कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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