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रविवार, 22 सितंबर 2013

हे भगवान -दे वरदान

       हे  भगवान -दे वरदान

हे मेरे प्रभू  ,
आजकल कितना बदल गया है तू
मै दिन रात ,
पूरी श्रद्धा और भक्ति  के साथ
तेरे पूजन में रहा लगा
रतजगों में पूरी रात जगा
पर आज महसूस कर रहा हूँ ठगा
क्योंकि शायद तूने आजकल,
छोड़ दिया है रखना भक्तों का ख़याल
इसीलिये ,मै  हूँ बदहाल
मुश्किलों से नसीब होते है रोटी दाल
फिर भी रोज तेरे मंदिर जाता हूँ
आपको दो मुट्ठी चांवल  चढ़ाता हूँ
राशन की दूकान से ख़रीदे सुदामा के चांवल
एक बार प्रेम से चबा लो प्रभुवर
और दीनदयाल,मुझे खुशहाल करदो
सुदामा की तरह निहाल करदो
हे प्रभू ,अपने इस परम भक्त का ,
थोड़ा सा तो ख्याल करो
कोई क्रीमी पोस्टिंग ही दिला कर ,
मुझे मालामाल करो
वरना मै आपके चरण पकड़ कर
बैठा ही रहूँगा यहीं पर
मै विनती कर ही रहा था कि ,
मुझे कुछ रोशनी का आभास हुआ
एक दिव्य प्रकाश हुआ
भगवान प्रकट हुए और बोले ,
अब ज्यादा मत खींच मेरी टांग  
बोल तुझे क्या चाहिये,मांग
मै बोला ,प्रभू ,मुझे न चांदी न सोना चाहिए
बस आपका आशीर्वाद होना चाहिए
मै हूँ निर्बल,असहाय
मुझे तो भगवन ,दिला दो एक गाय
मगर वो गाय हो कपिला
जिससे जो भी मांगो ,देती है दिला
जो भी मै चाहूंगा ,वो मुझे दे देगी
प्रभूजी ने टोका ,भक्त ,छोटा सा है तेरा घर
और वो भी सातवीं मंजिल पर ,
वहां गाय कैसे बंधेगी ?
मै बोला ,अच्छा प्रभू ,गाय नहीं ,
तो कल्पवृक्ष ही दिलवा दो ,
जिसके बारे में ये कहा जाता है
उसके नीचे बैठ कर जो भी मांगो,मिल जाता है
प्रभू बोले ,फिर वही पागलों सी बात ,
तेरे  समझ में कब आयेगा
सातवीं मंजिल के छोटे से फ्लेट में,
कल्पवृक्ष  कैसे समायेगा ?
मै बोला 'सॉरी ' प्रभू ,
मै गया था अपनी औकात भूल
और माँगता रहा यूं ही ऊल जलूल
मुझे तो आप एक छोटी सी वस्तु मात्र  दे दो
जो द्रोपदी को दिया था,वैसा अक्षय पात्र दे दो
उसमे जो भी पकेगा ,वो सदा भरा ही रहेगा
मेरे और मेरे आसपास के ,
गरीबों और भूखों का पेट भरेगा
और मेरे छोटे फ्लेट में आराम से रखा जाएगा
इसके पहले कि प्रभू कुछ कहते ,
पत्नी जी ने झिंझोड़ कर जगाया ,
और दूध  का पात्र देती हुई बोली,
सपने ही देखते रहोगे ,तो दूध कौन लाएगा ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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