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शनिवार, 14 सितंबर 2013

निशब्द

       निशब्द

जब सामनेवाले की बात का ,आपके पास ,न हो जबाब
या किसी अपने ख़ास से,बहुत दिनों बाद,मिले हो आप
मन में अचानक ही ,बहुत ज्यादा खुशी छा जाए
या किसी अनचाही घटना से ,आपको सदमा लग जाए
किसी सुन्दर ,अलोकिक ,प्रकृती की रचना को देख कर
या अपरिमित सौन्दर्य से लदी ,किसी ललना को देख कर
कोई अजूबा सा हो,आप सहम  कर,हो जाए भोंचक्के
या कोई सुमुखी सुन्दर महिला ,प्रेम का प्रस्ताव रखे
या फिर कोई आपके मुंह में ,पूरा लड्डू ही भर जाए
या  आपका मुख ,किसीके साथ,चुम्बन में लिप्त हो जाए
या फिर आपके मुख में भरा  हो ,तम्बाखू वाला  पान
या छाले ,दांत का दर्द या टोंसिल बढ़ कर करे परेशान
या आपको  मोटी  लाटरी खुलने का समाचार हो मिला  
या ज्यादा सर्दी जुकाम से बैठ गया हो आपका गला
जब ऐसी स्थिति आती या घटना घट  जाती है
कि अचानक ,आपकी सिट्टी पिट्टी गुम  हो जाती है
चाहते हुए भी आप कुछ भी नहीं बोल पाते है
तब,आप अवाक रह जाते,निशब्द हो जाते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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