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सोमवार, 16 सितंबर 2013

सृजन और विसर्जन

  सृजन और विसर्जन

गणपति बप्पा को ,
बड़े चाव और उत्साह के साथ ,
घर लाया जाता है
श्रद्धा  के साथ पूजा की जाती है ,
प्रसाद  चढ़ाया जाता है
फिर कभी डेड़ दिन,कभी सात दिन ,
कभी दस दिन बाद ,
विसर्जित कर दिया जाता है 
देवी दुर्गा का  भी ,इसी तरह,
वर्ष में दो बार ,नौ दिन तक,
होता है पूजन
और फिर वही नियति,विसर्जन
सृजन और विसर्जन
यही तो है जीवन

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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