पृष्ठ

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

aajo hmar yad ba by akhand gahmari

डुबुकिया बगिया में खेली कबडीया
आज ले हमरा याद बा
मठीया केण्‍ण्‍ण्‍ उ दौराई
आज ले हमरा याद बा
तीरे जा के उपरा से कूदी
बाबा के पौरावल याद बा
जाई सिवना गईया दूहल
आज ले हमारा याद बा
गउवा के कौनो मुरना होखे
नाइया खेवल याद बा
हाका बाजी पर झिझरी खेलल
आज ले हमारा याद बा
कौनेा बतइयिा पर हमरा के
बाबू के मरईया याद बा
जाके लुकाई आजी के पिछवा
आज ले हमारा याद बा
मेलवा देखे के खातिर बाबा के
दिहल 10 पैइसवा याद बा
हाफ पजामा पहीन के हाई स्‍कूलीया
में गइल आज ले याद बा
गउवा के जरीह स्‍कूलीय में
5 ले पढका याद बा
कैसे मारस बंशीधर उ
आज ले हमारा याद वा
साझ रोज गमछी में लेके
दनवा खाइल याद बा
दुअरा पर बैठ के बाबा के पीयल
हुक्‍का आज ले याद बा
बैठ के माई के उ चुलिहा तर
रोटीया सेकल याद बा
रसता निहोर प्रेम से मातल
अखिया हमारा याद बा
केतना बताइ ये अखंड बचवा
का का हमरा याद
अब कहवा मिली अब कैसे मिली
जौन जौन हमरा याद बा
गइल जमाना कबो ना लौटी
याद में बस रहजाइ उ
रहे हमर गॅाव सलामत
अखंड के सबके प्रणाम बा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।