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गुरुवार, 15 अगस्त 2013

शिकवा

      शिकवा

गए बारिश में उनके घर ,ये सोचा भीगेगे संग संग ,
मगर जाते ही पकड़ा दी ,उन्होंने  छतरियां  हमको
सुनाने हाले दिल अपना ,लिखी थी प्यार से चिट्ठी ,
बता दी ढेर सारी ,व्याकरण की  गलतियां   हमको
हमारे तो मुकद्दर में ,लिखा है एसा उलटा कुछ ,
अकेले  मिलने पहुंचे ,उनकी  दादी  सामने आई ,
कहा बेटा ,किया अच्छा ,जो आये ,दर्द है सर में ,
बिठा सर अपना दबवाने ,लगा उनने  दिया   हमको

घोटू

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