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रविवार, 18 अगस्त 2013

लोहा और प्लास्टिक

       लोहा और प्लास्टिक

बड़ा है सूरमा लोहा ,लडाई में लड़ा करता
वो बंदूकों में ,तोपों में और टेंकों में लगा करता
कभी तलवार बनता है,कभी वो ढाल  बनता है
हमेशा जंग में वो जंगी सा हथियार बनता है
कभी लोहे के गोले  तोप से जब है दागने पड़ते
तो दुश्मन को भी लोहे के चने है चाबने  पड़ते
कौन लोहे से ले लोहा ,सामने सकता आ टिक है
मिला उत्तर हमें झट से कि वो केवल प्लास्टिक है
टेंक इससे भी बनते है ,मगर भर रखते पानी है
खेत में बन के पाइप ,सींचता,करता किसानी है
घरों में लोहे के पाइप ,तगारी बाल्टी और टब
कभी लोहे के बनते थे,प्लास्टिक से बने अब सब
हरेक रंग में ये रंग जाता ,गरम होता है गल जाता
इसे जिस रूप में ढालो ,ये उस सांचे में ढल जाता
कलम से ले के कंप्यूटर ,सभी में आपके संग है
इसे है जंग से नफरत ,न लग पाता इसे जंग है
प्लास्टिक शांति का प्रेमी ,सख्त है पर नरम दिल है
बजन में हल्का ,बोझा पर,बड़ा सहने के काबिल है
इसी की कुर्सियों में बैठना ,प्लेटों में खाना  है
दोस्तों आजकल तो सिर्फ प्लास्टिक का ज़माना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

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