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गुरुवार, 22 अगस्त 2013

हुस्न का जादू

         हुस्न का जादू

तुम्हारे हुस्न का जादू ,चला है मेरे सर चढ़ कर
नहीं दुनिया में कोई भी,हसीं है तेरे से बढ़ कर
दिखा कर नाज़ और नखरे,हमारा दिल जलाती हो
कभी जाती लिपट और फिर छिटक के भाग जाती हो
बड़ी मादक  सी अंगडाई ,सवेरे उठ के जब लेती
कई छुरियां चलाती हो ,कलेजा चीर तुम देती
हमें बाहों में भर कर के ,नशा ,उन्माद भरती हो
और फिर छोडिये जी की,खुद  फ़रियाद करती हो
 बड़ी ही स्वाद ,प्यारी और मीठी ,चाकलेटी  हो
लगी हो जबसे होठों से,उतर की दिल में बैठी हो
अदाएं और जलवों से ,हमें बेबस भी करती हो
मज़ा भी पूरा लेती हो,और बस बस भी करती हो
ये सब अंदाज़ तुम्हारे,गजब के है,अजब से है
तुम्हारे इश्क में  पागल,दीवाने हम तो कब से है

मदन मोहन बाहेती'घोटू;

1 टिप्पणी:

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