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गुरुवार, 22 अगस्त 2013

उल्फत का भूत

          उल्फत का भूत

गया था पूछने इतना ,की मुझको तुझसे उल्फत है,
वो इक तरफ़ा या दो तरफ़ा ,बतादे अपने उत्तर से
न तूने घास कुछ डाली,न पूछा तेरी  अम्मा ने ,
बड़ा बेरंग लिफ़ाफ़े सा ,मै लौटा हूँ ,तेरे घर से
रहा अच्छा ये कि तेरे ,नहीं अब्बा जी थे घर पर ,
नहीं बच नहीं पाते कोई भी बाल ,इस सर पे
कहा कुछ भी किसी ने ना ,मुझे पर मिल गया उत्तर ,
चढ़ा था भूत उल्फत का ,उतर अब है गया सर से
घोटू

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