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गुरुवार, 15 अगस्त 2013

झपकी

         झपकी
सुबह उठे जब आँख खुली तो ,आलस हम पर मंडराया ,
थोड़ी देर और सो ले हम,हमने  एक झपकी ले  ली
ऑफिस में जब लंच ब्रेक था ,खाना खाया ,सुस्ताये ,
कुर्सी पर बैठे बैठे ही  ,हमने  एक  झपकी ले ली
शाम हुई,जब घर जाने को ,हम गाडी में जा बैठे,
ट्राफिक जाम मिला रस्ते में,हमने एक झपकी ले ली
टी वी पर खबरे सुनते थे ,रोज रोज की घिसीपिटी ,
लंबा एक ब्रेक आया और हमने एक झपकी  ले ली
पत्नी जी थी व्यस्त काम में ,हम फुर्सत में लेटे थे ,
तो बस उनके इन्तजार में ,हमने एक झपकी ले ली
देख हमें भरते खर्राटे ,उनने हमको जगा दिया ,
हलकी सी करवट बदली और हमने एक झपकी ले ली
झपकी छोटी बहन नींद ,सभी कहीं आ जाती है ,
जब भी चाहा उससे मिलना ,हमने एक झपकी ले ली
झपकी की झप्पी लेने में ,बड़ा मज़ा है आ जाता ,
नयी ताजगी मिलती है जब ,हमने एक झपकी ले ली

मस्दन मोहन बाहेती'घोटू'


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