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गुरुवार, 4 जुलाई 2013

हाले-जुदाई

         
          हाले-जुदाई  
जुदाई मे जर्द चेहरा हो गया है,
             हिज्र की हर सांस भारी हो गयी है 
याद मे तेरी ये हालत बन गयी,
             लोग कहते है बीमारी हो गयी  है 
बदलते रहते है करवट रात भर हम ,
              इतनी ज्यादा बेकरारी  हो गयी है 
नींद हमको रात भर आती नहीं है ,
               इस कदर आदत तुम्हारी हो गयी है 
आजकल हम खुद से ही रहते खफा है,
               एसी  कुछ हालत हमारी   हो गयी है 
'घोटू'अब आ जाओ दिल लगता नहीं है,
                बड़ी लम्बी इंतजारी   हो गयी है 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'       

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