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सोमवार, 27 मई 2013

मन की खिड़कियाँ

    

जरा देखो,खोल मन की खिड़कियाँ ,
                 ठंडी और ताज़ी हवाएं आयेगी 
जायेंगे अवसाद सारे दूर हट,
                 और मन की घुटन सब घट जायेगी 
आयेगी बौछार खुशियों की मधुर,
                   और सुख से जिन्दगी सरसायेगी 
निकल कर तो देखो अपने कूप से,
                    जगत की जगमग नज़र आ जायेगी 
दिन में सूरज राह रोशन करेगा ,
                     रात में भी चांदनी  छिटकायेगी 
मार कर बैठे रहोगे कुण्डली ,
                      मोह माया  उम्र भर  तडफायेगी
और जब जाओगे दुनिया छोड़ कर ,
                       धन और दौलत ,काम ना कुछ आयेगी 
  आज का पूरा मज़ा लो आज तुम,
                       कल की चिंता ,कल ही देखी  जायेगी  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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