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मंगलवार, 21 मई 2013

बदलती दुनिया

         

इलास्टिक ने नाडे  को गायब किया ,
और ज़िप आई,बटन को खा गयी 
परांठे ,पुरियों को पीज़ा का गया ,
सिवैयां ,चाइनीज नूडल खा गयी 
दादी नानी की कहानी खा गए,
टी वी पर ,दिनरात चलते सीरियल 
चिट्ठियां और लिफाफों को खा गए ,
एस एम् एस और ई मेल ,आजकल 
स्लेट पाटी ,गुम  हुई,निब भी गयी ,
होल्डर,श्याही की बोतल और पेन 
आजकल  ये सब नज़र आते नहीं ,
बस चला करते है केवल जेल  पेन 
फोन काले चोगे वाला खो गया ,
सब के हाथों में है मोबाईल हुआ 
नज़र टाईप राईटर आते नहीं,
कंप्यूटर है  ,इस तरह काबिज हुआ 
लाला की परचून की सब दुकाने,
बड़े शौपिंग माल सारे खा गए 
बंद सब एकल सिनेमा हो गए ,
आज मल्टीप्लेक्स इतने छा  गए 
ग्रामोफोन और रेडियो गायब हुए,
सारा म्यूजिक अब डिजिटल हो गया 
इस कदर है दाम सोने के बढे ,
चैन से सोना भी मुश्किल  हो गया 
एक पैसा,चवन्नी और अठन्नी ,
नोट दो या एक का अब ना मिले 
दौड़ता है मशीनों सा आदमी ,
जिन्दगी में चैन भी अब ना मिले 
चोटियाँ और परांदे गुम  हो गए ,
औरतों के कटे ,खुल्ले  बाल है 
नेताओं ने देशभक्ती छोड़ दी ,
लगे है सब लूटने में माल है 
अपनापन था,खुशी थी ,आनंद था 
होते थे संयुक्त सब परिवार जब 
छह डिजिट की सेलरी तो हो गयी ,
सिकुड़ कर एकल हुए परिवार अब 
सभी चीजें ,छोटी छोटी हो गयी ,
आदमी के दिल भी छोटे हो गए
समय के संग ,बदल हम तुमभी गए  
मै हूँ बूढा ,जवां तुम भी ना रहे 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

2 टिप्‍पणियां:

  1. विचारणीय भावनात्मक अभिव्यक्ति .पूर्णतया सहमत बिल्कुल सही कहा है आपने . .आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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