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बुधवार, 17 अप्रैल 2013

विवाह संस्कार

              विवाह संस्कार

बड़े प्यार से  पाला  पोसा ,बड़ी  हुई  तो  दान  कर  दिया
पहुँच पिया घर ,अपना तन मन,मैंने पति के नाम कर दिया 
कल तक मात पिता थे प्यारे ,और अब साजन ,बसे हुये मन
बचपन सारा, जहाँ गुजारा , लगे  पराया  सा वो    आँगन
केवल फेरे ,सात अगन के ,इतना   सब कुछ  कर देते है
देते छुड़ा ,  बाप माँ का घर  ,एक दूसरा   घर     देते   है
कुछ रीतों से , और मन्त्रों से ,जीवन भर का बंधन  बंधता
यह विवाह के ,संस्कार की ,कितनी सुन्दर ,धर्म व्यवस्था

घोटू 

2 टिप्‍पणियां:

  1. सदियों की व्यवस्था ,,,, समाज में प्रचलित व्यवस्था ...
    पर मन तो मन है ...

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  2. वाह जी वाह लाजवाब |

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