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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

बिन घूँघरू ,नारी नाची रे

        घोटू के पद 
महिला दिवस पर विशेष

बिन घूँघरू ,नारी नाची रे

घरवाले सब नाच नचायें,फिरती भागी भागी रे
रही रात भर ,नींद उचटती ,सो ना पायी जागी रे
ससुर साहब ,खर्राटे भरते,सास रात भर खांसी रे
सुबह हुई ,जुट गयी काम में ,ले ना पायी उबासी रे
 चूल्हा चौका,झाड़ू पोंछा,बन गयी घर की दासी रे 
शाम पड़े तक ,पस्त होगई ,मुख पर छाई उदासी रे
सोते ही बस ,आँख लग गयी,पिया मिलन की प्यासी रे 
'घोटू'कठिन,नारी का जीवन ,खेल नहीं ना हांसी रे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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