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बुधवार, 6 मार्च 2013

मेरो दरद न जाने कोई

              घोटू के पद
       मेरो दरद न जाने कोई 

हे री मै तो ,अति पछताती ,मेरो दरद न जाने कोई
घायल की गति,घायल जाने ,और न जाने   कोई
मंहगाई काटन को दौड़त,निसदिन जनता रोई
खानपान के दाम बढ़ गए ,मंहगी गेस रसोई 
रेल किराया ,बहुत बढ़ गया ,पिया मिलन कब होई
सत्ता में जिनको बैठाया ,फिकर  क़ा रे नहीं कोई
'घोटू'अब तो तब निपटेंगे ,फीर चुनाव जब होई

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

6 टिप्‍पणियां:

  1. आज के हालात पर बहुत ही सार्थक पद.

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  2. मोल बहु काटन को दौड़त, निसदिन गहनीयाँ रोई ।
    बाल पाल सब मोल रुले रुली मोल रसोई ।।
    बढे सुल्क सूल से लागे सब कारे कारज होई ।
    सासन में जिनको बैठारे सब कारे धन के जोई ।
    सकल दल के झंडे जराएं अबके ऐसन होरी होई ।।

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  3. चुपेचाप घर में नाही बैठोगे
    और निपटा नापटी करते रहोगे
    तो रसोई किधर से चलेगी ?? ......

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल गुरूवार (07-03-2013) के “कम्प्यूटर आज बीमार हो गया” (चर्चा मंच-1176) पर भी होगी!
    सूचनार्थ.. सादर!

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