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मंगलवार, 26 मार्च 2013

संध्या

               संध्या

तुम संध्या ,मै सूरज ढलता ,
                       तुम पर जी भर प्यार लुटाता 
तुम्हारे कोमल कपोल पर ,
                        लाज भरी मै  लाली लाता
फिर उतार तुम्हारे तन से ,
                         तारों भरी तुम्हारी चूनर
फैला देता आसमान में ,
                           और तुम्हे निज बाहों में भर
क्षितिज सेज पर मै ले जाता,
                            रत होते हम अभिसार में
हम तुम दोनों खो  जाते है,
                            एक दूजे संग मधुर प्यार में
प्राची आती ,हमें जगाती,
                              चूनर ओढ़ ,सिमिट तुम जाती
मै दिन भर तपता रहता हूँ,
                               याद तुम्हारी ,बहुत सताती
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  2. बहुत बढ़िया प्रेम गीत ...
    होली की हार्दिक शुभकामनायें।।

    जवाब देंहटाएं

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