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रविवार, 10 फ़रवरी 2013

नाक

                नाक 

जब तक    साँसों  का  स्पंदन  है, धड़कन है 
जब तक दिल में धड़कन है ,तब तक जीवन है
 द्वार सांस का ,जिससे साँसे , आती जाती 
सबसे उठा अंग चेहरे का, नाक कहाती 
दो सुरंग ये,राजमार्ग है ,ओक्सिजन  की 
सबसे अद्भुत उपलब्धि,मानव के तन की 
चेहरे बीच ,सुशोभित होती,शीश  उठाके 
नीचे मधुर अधर ,ऊपर कजरारी आँखें 
लाल लाल कोमल कपोल के बीच सुहाती 
खुशबू,बदबू,का मानव को भान  कराती 
सुन्दर तीखी नाक,रूप लगता है प्यारा 
कभी लोंग हीरे की मारे है लश्कारा 
सजती कभी पहन कर नथनी मोती वाली 
है प्रतीक यह मान,शान की बड़ी निराली 
चश्मे को आँखों पर ठीक,टिका रखती है 
प्यार और चुम्बन कुछ बाधा करती है 
कभी छींकती है जुकाम में,कभी टपकती 
कभी नींद में होती तो खर्राटे   भरती
होती ऊंचीं नाक कभी है ये कट जाती 
कहलाते है बाल नाक के,सच्चे साथी 
मन की प्रतिक्रियाओं से इसका नाता है 
नथुने फूला करते ,जब गुस्सा  आता है 
अगर किसी से नफरत तो भौं नाक सिकुड़ती 
इज्जत जाती चली,नाक कोई की कटती 
कोई नाक रगड़ता ,कोई नाक   चडाता 
परेशान  कर कोई नाकों चने चबाता 
कोई नाक पर मख्खी तक न बैठने देता 
तंग करता है कोई, नाक में दम कर देता 
किन्तु समझ में ,मेरे ,बात नहीं ये आती 
खतरनाक और शर्मनाक में ये क्यों आती 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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