पते की बात
सब कुछ गुम हो गया
रात की नीरवता ,ट्रक और बसों की ,
चिन्धाड़ों में गुम हो गयी
दादी नानी की कहानियां,टी वी के,
सीरियलों में गुम हो गयी
बच्चों के चंचलता ,स्कूल के ,
होमवर्क के बोझ से गुम हो गयी
परिवार की हंसीखुशी ,बढती हुई ,
मंहगाई के बोझ से गुम हो गयी
आदमी की भावनाएं और प्यार ,
भौतिकता के भार तले गुम हो गया
घर के देशी खाने का स्वाद ,
पीज़ा और बर्गर के क्रेज़ में गुम हो गया
अब तो बस,मशीनवत ,जीवन सब जीते है
भरे हुए दिखते है ,अन्दर से रीते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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