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शनिवार, 17 नवंबर 2012

दुनियादारी

       दुनियादारी

दोस्ती के नाम पर ,जाम पीनेवाले भी,
       दोस्ती के दामन में ,दाग लगा देते है
धुवें से डरते है,लेकिन खुदगर्जी में,
       खुद आगे रह कर के आग  लगा देते  है
रोज की बातें है ,जो अक्सर होती है
    खुदगर्जी  झगडे का ,बीज सदा बोती  है
कभी कभी लेकिन कुछ ,एसा भी होता है,
     दुश्मन तो साथ मगर ,दोस्त दगा देते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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