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सोमवार, 17 सितंबर 2012

बुलाया करो


दिलो दिमाग में
यूं छाया करो,
पास कभी आओ
या बुलाया करो;
वफ़ा में जाँ
हम भी दे देंगे,
बस ठेस न दो
न रुलाया करो |

अतिशय प्रेम
बस बरसाया करो,
नैनों में अपने
छुपाया करो;
दूर कर देंगे
हर शिकवा-गिला
एक अवसर तो दो
दिल में बसाया करो |

मन को न
भरमाया करो,
प्रेमगीत नित
गुनगुनाया करो;
छू कर देखो
लफ़्ज़ों को मेरे,
धड़कनों को मेरी
तुम गाया करो |

5 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति प्रदीप जी ।।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर, प्यारी
    मनभावन रचना...
    :-) :-) :-) :-) :-)

    जवाब देंहटाएं
  3. दोस्त मेरे ये प्यार ,
    सरे आम यूं न जाताया करो ,
    बेशक आया जाया करो !

    ram ram bhai
    सोमवार, 17 सितम्बर 2012
    कमर के बीच वाले भाग और पसली की हड्डियों (पर्शुका )की तकलीफें :काइरोप्रेक्टिक समाधान
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर अभिव्यक्ति -अच्छी लगी .
    मेरी नई पोस्ट में आपका इंतजार है .जरुर आयें और अपनी राय से अवगत कराएँ.

    जवाब देंहटाएं

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