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शनिवार, 18 अगस्त 2012

Sahitya Surbhi: अगज़ल - 44

Sahitya Surbhi: अगज़ल - 44:       अपनी हस्ती को गम के चंगुल से आजाद करने का        काश ! हम सीख लेते हुनर खुद को शाद करने का ।       अंजाम की बात तो बहारों पर मुनस्...

1 टिप्पणी:


  1. बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की अनुकम्पा करें, आभारी होऊंगा .

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