एपल की मेहरबानी
आज हम जो भी है,जैसे भी है,हुए कैसे,
बात ये आपने सोची है,कभी जानी है
आज जो इतनी तरक्की करी है दुनिया ने,
दोस्तों ,ये तो बस,एपल की मेहरबानी है
बनायी जब थी ये दुनिया खुदा ने तो पहले,
बनाए हव्वा और आदम थे और कुछ एपल
हिदायत दी थी कि इस फल को नहीं खाना तुम,
मगर हव्वा ने आदम ने चख लिया ये फल
और फिर खाते ही एपल,अकल उनमे आई,
कैसे क्या करना है और कैसी है दुनियादारी
दोस्तों ये इसी एपल का ही नतीजा है,
आज अरबों की ही संख्या में है दुनिया सारी
दूसरा एक था एपल गिरा दरख्तों से,
एक इंसान था ,न्यूटन कि जिसने देख लिया
और विज्ञान ने है इतनी तरक्की करली,
जब से सिद्धांत ग्रेविटी का उसने जग को दिया,
और एक तीसरा एपल दिया है दुनिया को,
जब से बिल गेट्स ने घर घर दिया है कंप्यूटर
आज मैंने भी देखो चौथा एपल खाया है,
देखते हैं ,ये दिखाता है,कैसा कैसा असर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।