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बुधवार, 18 जुलाई 2012

दुनिया की रंगत देख ली

i       दुनिया की रंगत देख ली

क्या बतायें,क्या क्या देखा,जिंदगी के सफ़र में,

        बहुत कुछ अच्छा भी देखा,बुरी भी गत   देख ली
भले अच्छे,झूठें सच्चे,लोगो से मिलना हुआ,
         धोखा खाया किसी से, कोई की उल्फत देख ली
स्वर्ग क्या है,नरक क्या है,सब इसी धरती पे है,
         देखा दोजख भी यहाँ पर,यहीं जन्नत देख ली
उनसे जब नज़रें मिली तो दिल में था कुछ कुछ हुआ,
         और जब दिल मिल गए,सच्ची मोहब्बत देख ली
कमाने की धुन में में थे हम रात दिन एसा लगे,
          चैन अपने दिल का खोकर,ढेरों दौलत   देख  ली
परायों का प्यार पाया,अपनों ने धोखा दिया,
           इस सफ़र में गिरे ,संभले,हर मुसीबत  देख ली
हँसते रोते यूं ही हमने काट दी सारी उमर,
          अच्छे दिन भी देखे और पतली भी हालत देख ली
गले मिलनेवाले कैसे पीठ में घोंपे छुरा,
           कर के अच्छे बुरे सब लोगों की संगत    देख ली
इतनी अच्छी दुनिया की रचना करी भगवान ने,
          घूम फिर कर हमने इस दुनिया  की रंगत  देख ली
जब भी आये हम पे सुख दुःख,परेशानी,मुश्किलें,
             हमने उसकी इबाबत की,और इनायत   देख ली

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

 

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