लक्ष्य-लक्ष्मी प्राप्ति का
जो फलों की कामना हो,बीज बोना चाहिये
लक्ष्मी की प्राप्ति का ही, लक्ष्य होना चाहिये
पीठ कछुवे की तरह से,इस कदर मजबूत हो,
जरुरत पड़ने पे उसको पहाड़ ढोना चाहिये
लेना पड़ सकती है तुमको,दुश्मनों की भी मदद,
देवता और दानवों सा, साथ होना चाहिये
कोई भी जरिया हो चाहे नाग की मथनी बने,
कैसे भी हो ,हमको बस ,सागर बिलौना चाहिये
निकल सकता है हलाहल,भी सुधा की चाह में
,साथ संकट निवारक शंकर का होना चाहिये
उच्च्श्रेवा,एरावत,निकलेगी रम्भा,वारुणी,
छोट मोटे रत्नों का बंटवारा होना चाहिये
लक्ष्मी खुद प्रकट होकर आपको मिल जाएगी,
प्रतीक्षा में धैर्य अपना नहीं खोना चाहिये
अपने साथी देवताओं को ही अमृत बांटना,
मोहिनी का रूप पर सुन्दर ,सलोना चाहिये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।