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बुधवार, 13 जून 2012

कुछ बातें छोड़ आयी हूँ


आज मैं यादें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ खट्टी कुछ मीठी
मुलाक़ातें छोड़ आयी हूँ
चार साल का अनुभव
और वो हँसी मज़ाक़
साथ ले अपने
कुछ पहलुओं को
कुछ वादों को छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
क्या कहूँ क्या दोस्त बने
किसी ने हँसकर पीठ थपथपाई
तो किसी ने पीठ पीछे
मुँह फेरकर जीभ फिराई
पहचान तो गयी रंग भाव
हर एक शख़्स का
उन रंग भाव के मैं
कुछ कसक छोड़ आयी हूँ
शायद कुछ असर छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ को साथ रखने की
हरदम ख़वाहिश है तो
कुछ की कड़वी बातें झेल आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें बुरी लगी किसी की
तो चुप रहना बेहतर समझा
जो चार साल में नहीं बदला
उसे बदलने की चाह छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ
बेहतर तो नहीं कह सकती
अपने हर साल को
गुज़र गया हर लम्हा
रोते गाते हँसते..
बहुत कुछ सोचा था पर
अपने अहसासों के दरमियान
तमन्नाओं के आईने में
धुँधली तस्वीरें छोड़ आयी हूँ
कुछ बातें छोड़ आयी हूँ ।
© दीप्ति शर्मा

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