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मंगलवार, 29 मई 2012

अपना अपना नजरिया

    अपना अपना नजरिया
एक बच्चा कर में जा रहा था
एक बच्चा साईकिल चला रहा था
साईकिल वाले बच्चे ने सोचा,
           देखो इसका कितना मज़ा है
            कितना सजा धजा है
            न धूल है,न गर्मी का डर है 
               नहीं मारने पड़ते पैडल है
    क्या आराम से जी रहा है
कार वाले लड़के ने सोचा,
            मै कार के अन्दर  हूँ बंद
            मगर इस पर नहीं कोई प्रतिबन्ध
            जिधर चाहता है ,उधर जाता है
            अपने रास्ते खुद बनाता  है
  कितने मज़े से जी रहा है
दोनों की भावनायें जान,
ऊपरवाला  मुस्कराता है
कोई भी अपने हाल से संतुष्ट नहीं है,
दूसरों की थाली में,
ज्यादा ही घी नज़र आता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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