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रविवार, 6 मई 2012

मेरी कलम कहती है ,,,,,,,

भूख लिखूँ
गरीबी लिखूँ
और ये बेकारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
जनता की हर लाचारी लिखूँ |
घपले लिखूँ
घोटाले लिखूँ
चल सारी मक्कारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
नेताओ की हर गद्दारी लिखूँ |
दुआ लिखूँ
दवा लिखूँ
या इसे नाइलाज बीमारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,,
देश के लिए अपनी ज़िम्मेदारी लिखूँ |
शांति लिखूँ
क्रांति लिखूँ
'विधु'कलम संग कटारी लिखूँ
मेरी कलम कहती है ,,,,,,,,,,,,,,
हर मन की दहकती चिंगारी लिखूँ |

रचनाकार-विशाखा 'विधु'
मेरठ, ऊ.प्र.

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही जानदार रचना | इस रचना के लिए विशाखा जी को बधाई |

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  2. जन आंदोलित करने वाली कृति
    हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही साला भाषा में अपनी बात कही.... बेहद सुन्दर रचना.....!

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार |
    बढ़िया प्रस्तुति ||

    जवाब देंहटाएं

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