दूँ उसको आशीष, होय इक बोदा लड़का-
बोदा लड़का था बड़ा, पर छुटका विद्वान ।
मार-पीट घूमे-फिरे, सारा घर उकतान ।
सारा घर उकतान, करूँ नित मार कुटाई ।
छुटका बसा विदेश, पूर कर बड़ी पढ़ाई ।
रविकर बूढ़ी देह, सेवता घर-भर बड़का ।
दूँ उसको आशीष, होय इक बोदा लड़का ।।
छुटका बसा विदेश, पूर कर बड़ी पढ़ाई ।
रविकर बूढ़ी देह, सेवता घर-भर बड़का ।
दूँ उसको आशीष, होय इक बोदा लड़का ।।
sahi baat, wo vidvan ki kya jo maa-baap ki sewa na kar paya...
जवाब देंहटाएंसमस्या मूलक मार्मिक कविता .
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