पृष्ठ

शनिवार, 3 मार्च 2012

सर्दी से अब तलक, गया जो नहीं नहाने

तीन समाचार

पटना से सुशील मोदी
प्रसव करे पीड़ा सहे, रक्त दूध से पाल ।
नसबंदी की बात पर, होती रही हलाल ।
होती रही हलाल, पुरुष पौरुष दिखलाओ  ।
पांच मिनट का काल, चलो अब आगे आओ ।
मोदी की यह बात, करे खारिज नर-कीड़ा ।
मौज करे दिन रात,  सहे बस नारी पीड़ा ।।

जहानाबाद से दबंग -
काटे हाथ दबंग ने, पी एम सी एच नेक ।
पड़ा फर्श पर तड़पता, गए गाँव में फेंक ।
गए गाँव में फेंक, होय आशंका  भारी ।
नक्सल बने अनेक, किया लेकिन हुशियारी ।
उठे नहीं गन बम्ब, पोस्टर कैसे साटे ।
सके न नक्सल बन , हाथ दोनों जो काटे ।।  

धनबाद से अघोरी
पानी की किल्लत बढे, फिर दादा इस साल ।
होली में डी सी कहे, खेलो शुष्क गुलाल ।
खेलो शुष्क गुलाल, तिलक माथे पर लागे ।
बदलो अपनी चाल, कठिन दिन आये आगे ।
किन्तु अघोरी-छाप, बात उनकी ना माने ।
 सर्दी से अब तलक, गया जो नहीं नहाने ।।
 

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।